महायुति में अब पालक मंत्री पद के लिए जंग, शिंदे को कमजोर करने के लिए BJP-NCP का अंदरूनी खेल

मुंबई: महायुति की तीन दलों वाली 'खिचड़ी सरकार' में पदों की बंदरबांट का ड्रामा खत्म ही नहीं हो रहा। पहले मलाईदार मंत्रालयों के रूठने मनाने का दौर चला, फिर किस किस को मंत्रिमंडल में शामिल करना या नहीं करना है इसको लेकर मान अपमान नाराजी का ड्रामा ह

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मुंबई: महायुति की तीन दलों वाली 'खिचड़ी सरकार' में पदों की बंदरबांट का ड्रामा खत्म ही नहीं हो रहा। पहले मलाईदार मंत्रालयों के रूठने मनाने का दौर चला, फिर किस किस को मंत्रिमंडल में शामिल करना या नहीं करना है इसको लेकर मान अपमान नाराजी का ड्रामा हुआ और अब जिलों के पालक मंत्री यानी प्रभारी मंत्री कौन होगा इसको लेकर सिर फुटव्वल शुरू हो गई है। जब तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर थे एकनाथ शिंदे की चल रही थी, लेकिन मुख्यमंत्री से उपमुख्यमंत्री बनते ही सत्ता के चबूतरे पर उन्हें किनारे करने का खेल शुरू हो गया है।
अपना पालक मंत्री फिट करने की कोशिश
बीजेपी और एनसीपी मिलकर शिंदे के प्रभाव वाले जिलों में अपना पालक मंत्री फिट करने की कोशिश में हैं। वैसे भी खिचड़ी सरकार में अजित पवार के शामिल होते ही शिंदे की 'बार्गेनिंग पावर' कम हो गई है। शिंदे और फडणवीस की ट्यूनिंग इन दिनों इतनी बढ़िया चल रही है कि शिंदे गुट खुद को अलग थलग ही महसूस कर रहा है। शिंदे की मुश्किल यह है कि उनके अपने विधायक भी उनसे ज्यादा फडणवीस को महत्व दे रहे हैं।

ठाणे जिले के पालक मंत्री पद पर बीजेपी ने दावा ठोका
बहरहाल राज्य में 11 ऐसे जिले हैं जिनमें पालक मंत्री पद को लेकर खिचड़ी सरकार के तीनों दलों में इन दिनों गलाकाट स्पर्धा चल रही है। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के सर्वाधिक प्रभाव वाले ठाणे जिले के पालक मंत्री पद पर बीजेपी ने दावा ठोक दिया है। बीजेपी के विधायक संजय केलकर का कहना है कि ठाणे जिले में शिंदे की शिवसेना के 6 और बीजेपी के 9 विधायक हैं। बीजेपी अपने मंत्री गणेश नाइक को ठाणे का पलक मंत्री बनाना चाहती है। ठाणे जिले में वर्चस्व स्थापित करने के लिए एकनाथ शिंदे और गणेश नाइक के बीच बरसों पुरानी स्पर्धा है। दोनों ही मूल रूप से बालासाहेब ठाकरे के पुराने शिवसैनिक हैं।

शिंदे की शिवसेना में बैचेनी बढ़ी
ठाणे जिले के पालक मंत्री का पद शिवसेना ने हमेशा अपने कब्जे में रखा है। इस बार भी शिंदे इसे अपने कब्जे में रखने के लिए पूरा जोर लगा रहे है। लेकिन जब से नाइक का नाम चर्चा में है तो शिंदे की शिवसेना में बैचेनी बढ़ गई है। अगर बीजेपी के गणेश नाइक ने शिवसेना से पालक मंत्री पद छीन लिया तो इतिहास बन जाएगा। पालक मंत्री के पास विकास निधि आवंटित करने का अधिकार होता है। आने वाले समय में महानगरपालिकाओं के चुनाव होने वाले हैं। उस दृष्टि से भी पालक मंत्री का पद महत्वपूर्ण है।

रायगड में एनसीपी अजित गुट चाहता है कब्जा
न सिर्फ ठाणे बल्कि ठाणे के पड़ोसी जिले रायगड में एनसीपी अजित गुट कब्जा चाहता है। किन 11 जिलों में पालक मंत्री पद के लिए भीतर ही भीतर बड़ी राजनीति हो रही है उनमें ठाणे, पुणे, रायगड, नासिक, बीड, सतारा, छत्रपति संभाजीनगर में बड़ी विकट स्थिति है। क्योंकि किसी जिले के दो, किसी जिले के चार मंत्री मंत्रिमंडल में हैं। ऐसे में कहीं एक ही पार्टी के दो मंत्रियों के बीच तो कहीं सहयोगी दलों के मंत्रियों के बीच पालक मंत्री पद के लिए जबरदस्त प्रतिस्पर्धा है।

कहां किसके बीच स्पर्धा
ठाणे- एकनाथ शिंदे (शिवसेना), गणेश नाईक (बीजेपी)
रायगड- आदिती तटकरे (एनसीपी), भरत गोगावले (शिवसेना)
नासिक- गिरीश महाजन (बीजेपी) दादा भुसे (शिवसेना) नरहरी झिरवल (एनसीपी), माणिकराव कोकाटे (एनसीपी)
जलगांव- गुलाबराव पाटील (शिवसेना), संजय सावकारे (बीजेपी)
पुणे- अजित पवार (एनसीपी), चंद्रकांत पाटील (बीजेपी)
बीड- पंकजा मुंडे (बीजेपी), धनंजय मुंडे (एनसीपी)
छत्रपती संभाजीनगर- संजय शिरसाट (शिवसेना), अतुल सावे (बीजेपी)
यवतमाल- अशोक उईके (बीजेपी) संजय राठोड (शिवसेना), इंद्रनील नाइक (एनसीपी)
सातारा- शंभुराज देसाई (शिवसेना) शिवेंद्रराजे भोसले (बीजेपी), जयकुमार गोरे (बीजेपी), मकरंद पाटील (एनसीपी)
रत्नागिरी- उदय सामंत (शिवसेना) योगेश कदम (शिवसेना)
कोल्हापुर- हसन मुश्रीफ (एनसीपी), प्रकाश आबिटकर (शिवसेना)

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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